What did Sardar Patel tell the people of Mumbai about the government's challenge?
16th July 1934
जेल से छुटने के बाद रविवार की शाम कांग्रेस हाउस परिसर में सरदार वल्लभभाई पटेलने बंबई की जनता को, खासतौर से कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टीके लोगो को, पहली बार पूरी गरमाहट के साथ उद्बबोधित किया कि आगामी कांग्रेस अधिवेशन को पूर्ण रूप से सफल बनाए और कांग्रेस कार्यकर्ताओ के बीच फूट न पडने दे।
आगे बढते हुए सरदार वल्लभभाई ने कहा कि जब वह जेल में थे तो अनेक राजनीतिक परिवर्तन हुए हैं, किंतु स्वाधीनता की लडाई जो एक बार शुरू हो गई है, वह तब तक कभी बंध नही होगी जब तक लक्ष्य प्राप्त नही हो जाता। यह जगजाहिर था कि वह परिषद में प्रवेश लेने के कट्टर विरोधी थे। किंतु अब जब कांग्रेसने इस कार्यक्रम के लिए निर्णय्ह ले लिया है तो वह इस निर्णय का पूरी निष्ठा के साथ पालन करेंगे। जो कदम कांग्रेस ने उठा लिया है, उसके बारे में अब प्रश्न करने से कोई लाभ नहीं है। लोग स्वयं ऐसी स्थिति पैदा करने के लिए जिम्मेदार है, जिसके कारण यह कदम उठाने की आवश्यकता पडी। यदि स्थिति भिन्न होती तो परिषद में प्रवेश की बात करने की कोई हिम्मत नही करता।
"अब विचार-वस्तु बिलकुल स्पष्ट था। चुनाव लडने का निर्णय कर लेने के बाद अब उनका यह कर्तव्य है कि वे यह सुनिश्चित करे कि विधानसभा पर अधिकर कर लेंगे। उनकि प्रतिष्ठा दांव पर थी। सरकारने एक चुनौति दी थी और कांग्रेस ने उसे स्वीकार किया था। वर्तमान समय यह विचार करने का नहीं था कि उन्होने सही कदम उठाया या गलत ! वोट देने के अपने अधिकार का पूरा-पूरा इस्तेमाल करेंं और यह सुनिश्चित करेंंकि अधिक से अधिक कांग्रेस जन विधानसभा में निर्वाचित होकर पहुंचे। तब मेरे पास आइए और मैं आपको रास्ता दिखाउंगा।
उन्होने दुहराया कि परिषद में प्रवेश के कार्यक्रम में जिन लोगो का विश्वास है, वे कांग्रेस में अपनी निष्ठा के कारण कांग्रेस प्रत्याशी का समर्थन करने के लिए बाध्य हैं। अपने इस कर्तव्य का पालन कर लेने के बाद वे सरदार के पास आ सकते है। तब वे उन्हें रास्ता दिखाएंगे।
आगामी चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी की सफलता या विफलता अत्याधिक महत्व रखती है। चुनावों में बहुमत न प्राप्त कर पाने का अर्थ सरकार की दमनकारी नीतियोंं और महात्मा गांधी के बंदीकरण का औचित्य समझा जाएगा"।
बोम्बे क्रोनिकल
१६ जुलाई १९३४
संदर्भ : भारत विभाजन
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